जाने कौन आस-पास होता है
होंठ चुपचाप बोलते हों जब
सांस कुछ तेज़-तेज़ चलती हो
आंखें जब दे रही हों आवाज़ें
ठंडी आहों में सांस जलती हो
आँख में तैरती हैं तसवीरें
तेरा चेहरा तेरा ख़याल लिए
आईना देखता है जब मुझको
एक मासूम सा सवाल लिए
कोई वादा नहीं किया लेकिन
क्यों तेरा इंतजार रहता है
बेवजह जब क़रार मिल जाए
दिल बड़ा बेकरार रहता है
जब भी यह दिल उदास होता है
जाने कौन आस-पास होता है
great
ReplyDeletenice pome dear achhi gjl h
ReplyDeleteNice poem great wrdng....
ReplyDeletebhot kuch mil jatahai har kavita padhane ke bad jo shabdome likhana aasan nahi hai.
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